महर्षि वाल्मीकि संस्कृत के महान कवि थे। वे संस्कृत के लौकिक छंदों के आदिकवि के रूप में भी जाने जाते हैं। इन्होंने अपने ज्ञान और तप की सहायता से महान ग्रन्थ 'रामायण' की रचना की थी।
- जो व्यक्ति अपने पक्ष को छोड़कर दूसरों के पक्ष में मिल जाता है फिर उस पक्ष के नष्ट होने पर वह खुद ही नष्ट हो जाता है।
- मन कभी भी इच्छित वस्तु प्राप्त होने के बाद भी संतुष्ट नहीं होता। जैसे किसी फूटे हुए बर्तन में चाहे जितना पानी भर दिया जाय लेकिन वह कभी नही भरता।
- होनी के प्रति दुःख मनाना कायरता और अज्ञान है।
- दुःख और विपदा जीवन के दो ऐसे मेहमान हैं, जो बिना निमंत्रण के आते हैं।
- अतिसंघर्ष से चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के हृदय में भी क्रोध उपज जाता है।
- किसी वादे को तोड़ने से आपके सारे अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं।
- संसार में ऐसे लोग कम ही होते हैं, जो कठोर किंतु हित की बात कहने वाले होते हैं।
- किसी भी व्यक्ति से मोह रखना आपको दुःख दे सकता है।
- किसी भी मनुष्य की इच्छाशक्ति अगर उसके साथ हो तो वह कोई भी काम बड़े आसानी से कर सकता है। इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प मनुष्य को रंक से राजा बना देती है।
- संघर्ष से आप महान बन सकते हैं। आगे बढ़ना है तो संघर्ष जरूरी है।
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